बेंगलुरु के एक 34 वर्षीय टेक प्रोफेशनल अतुल सुभाष ने 9 दिसंबर 2024 को आत्महत्या कर ली, जिससे पूरे देश में सनसनी फैल गई है। अतुल ने आत्महत्या करने से पहले एक 24-पन्नों का सुसाइड नोट और वीडियो छोड़ा, जिसमें उन्होंने अपनी पत्नी निकिता सिंघानिया और उनके परिवार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। इस मामले ने समाज में पुरुषों के अधिकारों पर एक बड़ी बहस को जन्म दिया है।
सुसाइड नोट में क्या कहा गया?
अतुल सुभाष ने अपने सुसाइड नोट में लिखा कि उनकी पत्नी निकिता सिंघानिया और ससुराल वाले उन्हें लगातार परेशान कर रहे थे। उन्होंने दावा किया कि निकिता और उनके परिवार ने उन पर कई कानूनी मामले दर्ज कराए, जिनमें हत्या का प्रयास, दहेज प्रताड़ना और घरेलू हिंसा जैसे आरोप शामिल हैं। सुभाष ने यह भी आरोप लगाया कि उनके ससुराल वाले ₹3 करोड़ रुपये की मांग कर रहे थे ताकि ये मामले वापस लिए जा सकें। इसके अलावा, अपने बेटे से मिलने के लिए भी ₹30 लाख रुपये की मांग की जा रही थी।
सुभाष ने अपने वीडियो और सुसाइड नोट में न्यायपालिका पर भी सवाल उठाए। उन्होंने एक न्यायाधीश पर ₹5 लाख रुपये की रिश्वत मांगने का आरोप लगाया, जिससे यह मामला और भी पेचीदा हो गया है।
गिरफ्तारी और पुलिस कार्रवाई
अतुल सुभाष की आत्महत्या के बाद बेंगलुरु पुलिस ने तत्परता दिखाते हुए निकिता सिंघानिया को गुरुग्राम (हरियाणा) से गिरफ्तार किया। इसके अलावा, निकिता की मां निशा और भाई अनुराग को प्रयागराज (उत्तर प्रदेश) से हिरासत में लिया गया। तीनों आरोपियों पर आत्महत्या के लिए उकसाने (Abetment to Suicide) का मामला दर्ज किया गया है और उन्हें 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है।
परिवार की प्रतिक्रिया
अतुल सुभाष के पिता ने गहरा शोक व्यक्त करते हुए कहा कि जब तक उनके बेटे को न्याय नहीं मिलेगा, वे उनकी अस्थियों का विसर्जन नहीं करेंगे। उन्होंने इस घटना को एक “कानूनी प्रताड़ना” का नतीजा बताया और न्याय की गुहार लगाई।
पुरुषों के अधिकारों पर बढ़ती बहस
इस मामले ने देशभर में पुरुषों के अधिकारों पर एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। कर्नाटक के गृह मंत्री जी. परमेश्वर ने भी इस घटना पर टिप्पणी करते हुए कहा कि यह मामला पुरुषों के अधिकारों की उपेक्षा को उजागर करता है। उनका कहना है कि अब समय आ गया है कि कानूनी व्यवस्था में महिलाओं के साथ-साथ पुरुषों के अधिकारों पर भी चर्चा की जाए।
सामाजिक प्रभाव
अतुल सुभाष का मामला समाज में पुरुषों के खिलाफ झूठे मामलों और कानूनी प्रताड़ना की ओर ध्यान आकर्षित कर रहा है। हालांकि, पुलिस अभी मामले की गहराई से जांच कर रही है।
निष्कर्ष
यह घटना न केवल एक दुखद पारिवारिक त्रासदी है, बल्कि यह कानून के दुरुपयोग और कानूनी सिस्टम में सुधार की आवश्यकता को भी उजागर करती है। अतुल सुभाष का मामला न्यायिक व्यवस्था, परिवार और समाज के बीच संतुलन की मांग करता है, ताकि ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।
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